सन २००९ में बिल्ली के भाग्य से छींका फूटा मुझे IATO के एक "फैम टूर" में जाने का मौका मिला जिसके होस्ट थे प्रकाश गुप्ता जी जो की हीट फ्लेक्सी कम्पनी के मालिक है, और नार्थ ईस्ट के एक बड़े टूर आपरेटर है.
वैसे तो मई साल में दो चार छोटे मोटे कई फैम ट्रिप अटेंड कर लेता था," वन नाईट स्टैंड" टाइप का लेकिन पुरे सेक्टर का वह भी पुरे आठ दिन ट्रिप यह पहली बार था. मन खुश था, उसके दो कारन थे, १ की ये हाई प्रोफइल फैम ट्रिप था पुरे भारत से सिर्फ १६ लोग ही थे जिनमे से सभी या तो डारेक्टर थे या बड़े मैनेजर या फिर कंपनियों के मालिक (हम इनमे से कुछ भी नहीं थे) २ . सब कुछ फ्री था. बस आने -जाने का फ्लाईट टिकट खुद करना था, वो भी मेरी कम्पनी ने करा दिया था.
Day 1 :
२३ फरवरी को झोला झक्कड़ ले के एयरपोर्ट पहुचे. एक दिन पहले हमारे उस्ताद ने (बोस) ताकीद की थी ढंग से सब कुछ देख के आना. खैर पहली बार जहाज में इसी समय बैठा था. बचपन में सोचता था की आसमान में हवाई जहाज का एक्सीडेंट कैसे होता होगा ? अरे सामने जो कुछ आ जाये तो बाएं से ड्राइवर क्यों नहीं कटा सकता.
जहाज रन वे पे दौड़ी, हमें लगा सड़के सड़क ले जायेगा क्या ? तभी वह मृत्यु लोक छोड़ आकाश में उड़ने लगा. .
जहाज में बैठते ही विजय माल्या जी सामने की सीट से प्रकट हुए जिसकी पिठाडी हमारे मुह की तरफ थी, उल जलूल बकने के बाद उनकी बस एक बात समझ में आई " आप बहुत ही सुरक्षित यात्रा करेंगे क्योकि की यहाँ की हर एक चीज टेस्टेड है " और हम एयर होस्टेज की तरफ देखने लगे जो कुछ नाश्ता टाइप की चीज ला रही थी.
पुरे ३ घंटे से जादा आसमान में उड़ते रहे, खिड़की वाली सीट थी, बाहर देखता रहा की कहीं नारद वारद न टहल रहे हों, कौन जाने मुलाकात हो जाए. वो नहीं मिले हम भी लैंड कर गए, यहाँ का एयर पोर्ट एयर फ़ोर्स वालो से उधार लिया गया है,जिस काम में भारतीय वैसे भी माहिर है. बाहर निकल के देखा तो बोर्ड लगा था, "वेलकम टू फैम " तभी "ट्रेवेलाईट के मैनेजर रहमान जी मिल गए, हमने हाथ मिलाया, और जो हाथ मिलाया की पुरे यात्रा तक हम एक ही गाडी में हफ्ते भर घूमते रहे. वहां से हम सीधे सिलीगुड़ी दीपक जी के फार्म हाउस पे गए जहाँ सबका परिचय हुआ. फिर वहां से कलिम्पोंग के लिए रवाना हुए.
सिलीगुड़ी से कोई दो घंटे बाद हम कलिम्पोंग पहुचे, जहाँ हमारा रुकना एल्गिन के होटल सिल्वर ओक में होना था. यह एक बेहद खुबसूरत होटल है जहाँ से आधा कलिम्पोंग देखा जा सकता है, पहुचाते ही चेरी ब्रांडी जैसी कोई ड्रिंक दी गयी जो की मीठी थी. हमें अपने अपने कमरों की चाभी दी गयी, हमें हेमेन्द्र जी के साथ कमरा शयर करना था जो की "पैराडाइज" के डाईरेक्टर है, थोड़ी देर बात चीत होने के बाद हम सो गए.
आईये सबका परिचय करा दूँ .
Me at Silver Oak Kalimpong |
Day 2 : हमारा यहाँ एक सूत्री कार्यकर्म था, जगह के साथ साथ होटल देखना, कैल्म्पोंग बहुत ही खुबसूरत हिल स्टेशन है जो दार्जिलिंग के महाभारत रेंज में आता है . पहले दिन हम ग्रैहम होम और देल्लो हिल देखने गए. ग्रैहम होम एक बहुत ही सुनदर सी जगह थी जहाँ बच्चो को एडाप्ट किया जाता है, वो भी एक महीने के नवजात शिशु तक को . फिर हम गए उस जगह जहाँ तिब्बत के शरणार्थियो को रखा गया था. उसके बाद एक मोनेस्ट्री विजिट की जिसका नाम मुझे इस समय याद नहीं आ रहा, इसके बाद कुछ होटलों का निरिक्षण कर गैंगटोक की तरफ रवाना हो गए.
गोम्पा मोनेस्ट्री |
Dr Graham home |
कैल्म्पोंग से गैंग टोक तक का सफ़र बहुत ही खुबसूरत है , रास्ते में तमाम फ्लोर फ्युना मिलते है, सबसे ख़ास बात की हर कुछ किलोमीटर पर पेड़ पर टंगे डस्टबिन होते हैं, आप अपना कूड़ा सड़क पर न फेंक यहाँ दाल सकते है, इस मामले में सिक्किम निश्चित ही अनुशाषित है .
तीस्ता नहीं . सिक्कीम की गंगा |
हमारे पूर्वज |
गैंग टोक पहुचने से पहले रास्ते में पड़ने वाले में फेयर रिसोर्ट पर शाम का हाई टी लिए . इस समय यह रिजोर्ट बन रहा था, अब तो बन के दौड़ भी रहा है , निशिचित यह सिक्किम के सबसे खुबसूरत रेसोरतो में से एक है .
मेंफेयर रिसोर्ट |
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बहुत खूबसूरत कभी सुना था कश्मीर धरती का स्वर्ग है पर .........अब स्वर्ग ये ही नज़र आता है .............जय जय कमलजी ..............
ReplyDeleteयह तो गजब है भाई-
ReplyDeletebahut sunder ..shandar sikkim ..
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